Tuesday, December 18, 2012

'हम पहले दलित हैं': अली अनवर अंसारी



राज्य सभा में बहस के दौरान श्री अली अनवर अंसारी, सांसद (जेडीयू) और अध्यक्ष-ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का 17.12.2012 को हस्तक्षेप   

महोदय, सबसे पहले मैं दिल की बेइंतहा गहराइयों से इस कान्स्टिटूशन अमेन्ड्मन्ट [एस. सी./एस. टी. प्रोमोशन] का समर्थन करता हूँ।  मुझे फख्र हो रहा है कि हमारे बिहार ने, हमारे नेता नीतीश कमार ने  अपने राज्य में इसको पहले ही लागू कर दिया।
महोदय, मैं आपको बताऊँ कि जब हमारे नेता नीतीश कमार जी एमपी थे, तो उन्होंने लोक सभा में एक बात कही थी कि मजहब तब्दील करने से इंसान की सामाजिक स्तिथि नहीं बदलती है।  महोदय, हमारे उपेन्द्र जी बोल रहे थे, वह हमारे अच्छे साथी हैं, उनके लिए मैं  कह रहा हूँ कि मुसलमानों और ईसाईयों में भी दलित हैं. अगर हिंदू धोबी है, तो मुसलमान  धोबी भी है, जिसे मुसलमनिया धोबी कहा जाता है। अगर हिंदू में हलखोर है, तो मुसलमान में हलालखोर है...आज भी मैला ढोने का काम करता ह। उसको कहीं हेला  कहा जाता है  और कहीं उसको होलइया कहा जाता है, लेकिन नाम और पेशा वही है।  महोदय, अगर हिंदू में  मोची है, चमड़ा सुखाने, चमड़ा पकाने,  चमड़ा छीलने, जूता बनाने का काम करता है,  तो  मुस्लिम मोची भी है, जो वही काम करता है, उसके मोहल्ले में आप बदबू के कारण रह नहीं सकते हैं। मुसलमानों  में एक बिरादरी है,  जिसका नाम है--भठियारा,  यह सरकार की सूची  में है, बोलचाल की सूची में नहीं है।  अदीब साहब, आप भी यह जान लीजिए।  हम सभी मुसलमानों के रिज़र्वेशन की बात नहीं कर रहे।  सभी मुसलमानों का धर्म की बुनियाद पर  रिज़र्वेशन नहीं हो सकता है।  प्रो. यादव जी बैठे हैं, ये 18 परसेंट की बात करते हैं, रामिवलास जी 10 परसेंट की बात करते हैं, हम जो मुसलमान दलित हैं, जो मुसलमान पसमांदा हैं, वह इस बात से वाकिफ हैं कि हमारा संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता है। हम आप लोगों से भी यह कहना चाहते हैं कि ईसाइओं में  भी दलित हैं, मुसलमानों  में भी दलित हैं, उनकी मस्जिदें अलग-अलग हैं, उनके कब्रिस्तान अलग-अलग हैं, उनके साथ छुआछूत का व्यवहार होता है।  दलित नेताओं  से  भी हम कहना चाहते  हैं  कि  आप ज़रा दिल  बड़ा कीजिये।  हम लोग भी दलित हैं, हम लोग भी मारे गए हैं, इसलिए आप इस बात पर विचार कीजिये।
महोदय, हम कहना चाहते हैं, यहाँ प्रधान मंत्री जी हैं, आपने सच्चर कमिटी बनायी, रंगनाथ मिश्रा कमीशन आपने बनाया, यूपीए-वन ने बनाया, उनकी रिपोर्ट आकर रखी हई है।  रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने क्या कहा है?  रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने कहा है कि मजहब के बुनियाद  पर भेदभाव करना संविधान विरोधी है।  1950 में जो 341 धारा है, उस पर जो धार्मिक प्रतिबन्ध लगाया गया...उसको आप फौरन revoke कीजिये। आप क्यों नहीं कर रहे हैं?  
महोदय, हम खत्म कर रहे हैं। इसलिए हम कहना चाहते हैं कि आप उसको रीवोक कीजिए।  इस बात को सच्चर कमेटी ने भी कहा है। एक बात हमारे कई लोग कहते हैं कि मुसलमानों  की हालत दलितों से भी खराब  है। हम ऐसा नहीं मानते हैं। सच्चर कमेटी ने ऐसा नहीं  कहा  है, रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने ऐसा नहीं कहा है।  
मुसलमान समाज के अंदर,  इसाईओं के अंदर जिसकी हालत हिंदू दलितों से  भी खराब ह।...(व्यवधान) हम इस पक्ष से भी कहना चाहते हैं कि हमारे साथ संवैधानिक रूप से अन्याय हो  रहा  है। हम  मुसलमान हैं,  हम  इसाई  हैं  इसीलिए हमारे साथ अन्याय हो रहा है।  हम दलित  हैं, हम पहले दलित हैं, उसके बाद हम  इसाई  बने हैं। हम पहले दलित मुस्लिम  हैं,  उसके  बाद मुस्लिम बने  हैं।  हम पहले दलित हैं।


No comments:

Post a Comment

Search This Blog